दिल से आवाज़ ये आई है
शब्दों से नवाजो तो बस रुबाई है .
तुम खुद को बुलंदी का अक्स दे दो
समझो इसे , खुदा की खुदाई है !
मेरे हमदम, मेरे एहसास को
परवान तो चढ़ जाने दो
रुहे-इबादत को
अंजाम तक पहुँचाने दो
नज़्म तो खुद-ब-खुद
ऊंचाई छू लेगा
बस ,अपने होठों से इसे ,
गुनगुनाने दो !
aapka blog kal charchamanch par hoga ..aap vahan aayen aur apne vicharon se anugrahit kijiye ... saadar
जवाब देंहटाएंअति सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंरुहे-इबादत को
जवाब देंहटाएंअंजाम तक पहुँचाने दो
नज़्म तो खुद-ब-खुद
ऊंचाई छू लेगा ...
बहुत सुन्दर.....एक-एक शब्द भावपूर्ण...
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बात पढने को मिला इस तरह का
बधाई....
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आशुतोष की कलम से.
हिंदी कविता-कुछ अनकही कुछ विस्मृत स्मृतियाँ
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएं"shbdon se navaazo to bas rubaai hai ..."
जवाब देंहटाएंkhoobsoorat nzm -badhaai .
veerubhai .
नज़्म तो खुद-ब-खुद
जवाब देंहटाएंऊंचाई छू लेगा
बस ,अपने होठों से इसे ,
गुनगुनाने दो !
बहुत खूब !!
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंhttp://shayaridays.blogspot.com