दिल से आवाज़ ये आई है
शब्दों से नवाजो तो बस रुबाई है .
तुम खुद को बुलंदी का अक्स दे दो
समझो इसे , खुदा की खुदाई है !
मेरे हमदम, मेरे एहसास को
परवान तो चढ़ जाने दो
रुहे-इबादत को
अंजाम तक पहुँचाने दो
नज़्म तो खुद-ब-खुद
ऊंचाई छू लेगा
बस ,अपने होठों से इसे ,
गुनगुनाने दो !