manzar
गुरुवार, 21 जुलाई 2011
अभी थोड़ी रात बाकी है
चरागों को अभी से न बुझाओ
बज़्मे -उल्फत में बिखरने दो गेसुओं को
रुखसार की लाली को और बढाओ !
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