दिल से पढ़ी है -
प्रेम की इबारत
ज़हनियत की कोई
जगह नहीं है यहाँ !
तुम्हारे टूटे बिखरे -
शब्दों को जोड़ ,
'मानी ' पा लिया है
लिखते हुए ख़त
तुम्हारे हाथों की
कांपती उँगलियों
का स्पर्श पाकर
प्रेम का वह पन्ना
कितना धन्य हुआ होगा !
पुलकित हुए होंगे
शब्द -जब ,
अक्षरों के समूह ने
उन्हें छुआ होगा !
बिस्तर पर
करवट बदलते
दांतों में दबी -
कलम ,
और
पेशानी के कृत्रिम बल
इन्हें देख -
दरों-दीवार ने भी
प्रेम का रस चखा होगा !
पुलकित हुए होंगे
जवाब देंहटाएंशब्द -जब ,
अक्षरों के समूह ने
उन्हें छुआ होगा !
अति सुन्दर भावपूर्ण प्रेम का एहसास कराती अनुपम प्रस्तुति.
बिस्तर पर
जवाब देंहटाएंकरवट बदलते
दांतों में दबी -
कलम ,
और
पेशानी के कृत्रिम बल
इन्हें देख -
दरों-दीवार ने भी
प्रेम का रस चखा होगा !bahut hi badhiyaa
अद्भुत प्रेम की अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ....बिलकुल सटीक चित्रण किया हैं आप नए..
बधाइयाँ..
ये रचना अगर आप पूर्वांचल ब्लॉग पर भी पोस्ट करें तो कई और बंधू इसका आनंद उठा सकते है..
कृपया वर्ड वेरिफिकेसन हटा दें ब्लॉग से अपने..
जवाब देंहटाएंपुलकित हुए होंगे
जवाब देंहटाएंशब्द -जब ,
अक्षरों के समूह ने
उन्हें छुआ होगा !
बहुत ही कोमल भाव...बहुत सुन्दर कविता...
आशुतोष जी के साथ मेरा भी अनुरोध है कि-
कृपया वर्ड वेरिफिकेसन हटा दें.
लिखते हुए ख़त
जवाब देंहटाएंतुम्हारे हाथों की
कांपती उँगलियों
का स्पर्श पाकर
प्रेम का वह पन्ना
कितना धन्य हुआ होगा !
क्या कुछ नहीं कह रही है ये पंक्तियाँ
बहुत उम्दा
कभी हमारे ब्लॉग भी आयें मुझे खुसी होगी
नया हूँ ना..
avinash001.blogspot.com
इंतजार रहेगा आपका
आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों से एक उम्दा रचना पेश की है.
जवाब देंहटाएंजवाब नहीं.
मेरे ब्लॉग पर आयें, स्वागत है.
चलने की ख्वाहिश...
रचना बहुत सुन्दर थी, इसलिए फोलोवर बनना पड़ा.
जवाब देंहटाएंप्रेम की इबारत !
जवाब देंहटाएंदिल से पढ़ी है -
प्रेम की इबारत
ज़हनियत की कोई
जगह नहीं है यहाँ..
सही कहा ..
प्रेम को पढ़ने के लिए प्रेम की भाषा आनी जरूरी है ..
वरना पन्ने पलटने में ही जिन्दगी निकल जाएगा ..
sunder rachna
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