तेरे शहर तेरी सोच से निकल जाऊंगा
किसी उदास शाम में ढल जाऊंगा .
तू जो मुकर गई है हर बात से अपनी ,
देख लेना एक दिन मैं भी बदल जाऊंगा .
मत दिखा मुझ को अपना पशेमान चेहरा ,
जब कि तू जानता है मैं पिघल जाऊंगा .
चाहे लाख तडपू तेरे इंतज़ार में,
मत लौट के आना में संभल जाऊंगा .
तेरा होना इतना ज़रूरी तो नहीं है ,
मैं तो यादों के खिलोने से बहल जाऊंगा !
किसी उदास शाम में ढल जाऊंगा .
तू जो मुकर गई है हर बात से अपनी ,
देख लेना एक दिन मैं भी बदल जाऊंगा .
मत दिखा मुझ को अपना पशेमान चेहरा ,
जब कि तू जानता है मैं पिघल जाऊंगा .
चाहे लाख तडपू तेरे इंतज़ार में,
मत लौट के आना में संभल जाऊंगा .
तेरा होना इतना ज़रूरी तो नहीं है ,
मैं तो यादों के खिलोने से बहल जाऊंगा !
mai to yado ke khilone se bahal jaunga ...wahhhh
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/
बहुत ही सुंदर ऐसा लगता है जैसे ये कविता मेरे जज़्बातों को बयां कर रही है।।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब